एक याद ऐसी भी
एक याद ऐसी भी
आज फिर दिल में कांटा सा कुछ चुभा है
आज फिर मन में एक नया सार गढा है,
ख्याल आ रहा है जाने वो पल गए कहाँ
मिलते थे जब हम मानो मिलते हो धरती और आसमां ,
काश ले जाऊं तुझे इस जहाँ से दूर
जहाँ हो शाम मुझसे और तुझसे सवेरे ,
छोटा सा संसार होगा खुशियों से भरपूर
पर टूट गया है ये संसार, हो गए सारे सपने चूर चूर ,
गई नहीं एक भी याद तेरी दिल से
हर पल है तुझे पुकारता चाहे हो हालात जैसे भी ,
एक याद ऐसी भी
एक मुहब्बत ऐसी भी!