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Ratna Priya

Others

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Ratna Priya

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विदाई

विदाई

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बरसों से जिसकी किलकारियां आंगन में छाई है

हां, आज उसी बेटी की इस घर से विदाई है 

पूरा हुआ कन्यादान जाने की घड़ी आई है 

आंखों से छलके आंसू और हुई रस्म अदाई है 

बचपन की अठखेलियां को अंतिम यह मोड़ दिया 

आसूँ पूछे मेरी मां से, क्या सच में तुम ने मुझे छोड़ दिया 

तेरे आंगन की फुलवारी हूं ऐसा कहा तुमने 

एक आंसू गिरने ना पाए ऐसा ध्यान रखा तुमने 

जिस घर को अपना कहा हर पल 

उसी घर से दूर हो जाऊंगी कल 

क्यों नहीं बताती तुम कि मैं नहीं हूं पराई 

यह घर मेरा भी है भले ही हो रही है मेरी विदाई 

सुन के बेटी की बातों को 

माँ रह सकी ना खड़ी 

दौड़ी बदहवास उसकी ओर और लिपट कर रो पड़ी 

जाने जग ने यह कैसी रीत बनाई है 

क्यों छोड़े बेटी ही घर 

जाने कैसी ये विदाई है ।।


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