तो बात और थी
तो बात और थी
बिन मिले इश्क मुकम्मल हो जाता तो बात और थी
एक बार जो दीदार ए हुस्न तेरा हो जाता तो कयामत हर ओर थी
इश्क तो जरिया है तरप को गले लगाने का
मोहब्बत करके दिल को तिल तिल जलाने का
दिल तो तिल तिल जल भी जाए जनाब
रूह अगर संभल जाती तो बात और थी
इश्क की गलियां तो बहुत रंगीन है
जह्नसीब है वह जो इन गलियों से गुजर चुकी हैं
इन गलियों से जो कोई पार हो जाए तो बात और थी
इश्क किया हमने भी सोचा दिल से दिल मिलेंगे
दिल से दिल मिलेंगे तो खुशियों के फूल खिलेंगे
पर यह फूल खिल जाए तो बात और थी
जमाने की नजर न लग जाए तो बात और थी
मोहब्बत मुकम्मल हो जाए तो बात और थी।