हां मैं नारी हूं
हां मैं नारी हूं
हां मैं नारी हूं
पल रही थी मां के गर्भ में
जब से तब से ही मैं भारी हूं
हां मैं नारी हूं
हुआ जन्म छाई खुशहाली अचानक चारों ओर
फैली खामोशी अरे यह क्या यह तो एक बेटी है
हर तरफ खामोशी से शोर ये फैला था फिर से हुई बेटी
जाने इसकी मां ने देखा किसका चेहरा था
मैं सोच रही थी तब क्या हुआ कोई
पाप मुझसे जो मैं ऐसे छोड़ी जा रही हूं
हां मैं नारी हूं
तब दिखी एक छोटी सी लौ आस की उठाया
किसी ने गोद में मुझे, सोचा कौन है यह फरिश्ता,
फिर जाना दुनिया कहती पिता इन्हें
समाज ने ठुकराया पर अपने घर में सबसे प्यारी हूं
हां मैं नारी हूं
मिली सारी खुशियां जिसकी मैं हकदार थी
धीरे-धीरे बड़ी हुई फिर आगे बढ़ने को भी
तैयार थी रखा अकेला कदम दुनिया में मैंने
तब समझी लड़की होना पड़ता है कब
जाने किन-किन नजरों से तारी जा रही हूं
हां मैं नारी हूं
गुजरे कुछ दिन इसी आस में कोई तो
आएगा जो समझेगा इस बात को
जब हर लड़की अकेली घूम सकेगी कितनी भी रात को,
पर शायद मैं उम्मीद ज्यादा लगाए जा रही हूं
हां मैं नारी हूं
अपने ही समाज में रहकर इन्हीं लोगों से हारी हूं
हर पल हर दिन एक अनजाने
डर के साए में जिए जा रही हूं
हां मैं नारी हूं।
