STORYMIRROR

Ratna Priya

Inspirational

4  

Ratna Priya

Inspirational

हां मैं नारी हूं

हां मैं नारी हूं

2 mins
420

हां मैं नारी हूं

पल रही थी मां के गर्भ में

जब से तब से ही मैं भारी हूं

हां मैं नारी हूं


हुआ जन्म छाई खुशहाली अचानक चारों ओर

फैली खामोशी अरे यह क्या यह तो एक बेटी है

हर तरफ खामोशी से शोर ये फैला था फिर से हुई बेटी

जाने इसकी मां ने देखा किसका चेहरा था


मैं सोच रही थी तब क्या हुआ कोई

पाप मुझसे जो मैं ऐसे छोड़ी जा रही हूं

हां मैं नारी हूं


तब दिखी एक छोटी सी लौ आस की उठाया

किसी ने गोद में मुझे, सोचा कौन है यह फरिश्ता,

फिर जाना दुनिया कहती पिता इन्हें

समाज ने ठुकराया पर अपने घर में सबसे प्यारी हूं

हां मैं नारी हूं


मिली सारी खुशियां जिसकी मैं हकदार थी

धीरे-धीरे बड़ी हुई फिर आगे बढ़ने को भी

तैयार थी रखा अकेला कदम दुनिया में मैंने

तब समझी लड़की होना पड़ता है कब

जाने किन-किन नजरों से तारी जा रही हूं


हां मैं नारी हूं

गुजरे कुछ दिन इसी आस में कोई तो

आएगा जो समझेगा इस बात को

जब हर लड़की अकेली घूम सकेगी कितनी भी रात को,

पर शायद मैं उम्मीद ज्यादा लगाए जा रही हूं

हां मैं नारी हूं

अपने ही समाज में रहकर इन्हीं लोगों से हारी हूं

हर पल हर दिन एक अनजाने

डर के साए में जिए जा रही हूं

हां मैं नारी हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational