जिंदगी
जिंदगी
ऐ दिल तू यूं ही गाता चल
नए तराने नए लोग यूं ही पिरोता चल
भर ले अपने दामन को खुशियों से
और हर डगर इन्हें बिखेरता चल
दुख की नदी तो है यह सारा संसार
अपना बना लोगों को जोर दिल से दिल के तार
जीले अपनी जिंदगी के हर पल
ऐ दिल तो यूं ही गाता चल
कहते हैं चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है
इतने छोटे वक्त में भी क्यों समेटने अपने जज्बात है
जज्बातों को दे ढील और ना कर फिकर क्या होगा कल
हर समस्या का ढूंढ ही लेंगे कोई हल
तू कर अपने सफ़र को पूरा होकर निश्चल
ऐ दिल तो यूं ही गाता चल
इस दुनिया की रस्मों से ना तू खुद को बदल
ऐ दिल तो यूं ही गाता चल।