तरस
तरस
तेरी खुशबू से रूह मेरी महक उठेगी,
तेरी आहट के शोर से मेरी सुनी ज़िन्दगी गूंज उठेगी,।।
तेरी आस में दिए जला कर बैठी हूं,
एक तेरे इंतज़ार में मै खुद को राख कर बैठी हूं,
इन आखों को राहत दे जा,
एक बार तो मेरे शहर आ जा,
तेरी खुशबू से रूह मेरी महक उठेगी,
तेरी आहट के शोर से मेरी सुनी ज़िन्दगी गूंज उठेगी,।।
तेरे ख्वाबों से भरी मेरी रातें है,
होठों पर मेरे ठहरी हजारों बातें है,
जो मांगी है मैंने वो दुआ है तू,
मुझ साहिल को तलाश है जिसकी वो किनारा है तू,
तेरी खुशबू से रूह मेरी महक उठेगी,
तेरी आहट के शोर से मेरी सुनी ज़िन्दगी गूंज उठेगी,।।
आखों में कैद आसूं सिहायी बन बैठे है,
आसूं बरसे जो पलको के बादल से तो अल्फ़ाज़ बन बैठे है,
ज़िन्दगी तनहा हो गई जब तुम मुसाफ़िर बन गए,
ना खता हुई हमसे कोई क्यों बेवजह हम मुजरिम बन गए,
तेरी खुशबू से रूह मेरी महक उठेगी,
तेरी आहट के शोर से मेरी सुनी ज़िन्दगी गूंज उठेगी,।।
कब फिजा गुलाबी रंग से रंगी होगी,
कब आयेंगे वो पल जब तेरे मेरे दर्मियां दूरियां ना होगी,
फासलों में ना हुआ दफन ये इश्क बेमिसाल है,
रिश्ता बेनाम है हमारा इश्क आज भी एक सवाल है!