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Vijaykant Verma

Romance

4  

Vijaykant Verma

Romance

लौट आओ मेरे यार

लौट आओ मेरे यार

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तुम लौट आओ मेरे यार

सुन लो दिल की मेरी पुकार

आवाज दूँ तुमको मैं बार बार

जो इन वादियों से टकरा कर

लौट आती है वापस हर बार

उन वेदनाओं की गूंज के साथ

जो कराते हैं मुझे विरह का एहसास

क्योंकि उनमें वो शब्द नहीं हैं

वो प्यार, वो सपने नहीं हैं

जो हमने देखे थे कभी..!

अगर वफ़ा नहीं

तो अपनी बेवफाई मुझे दे दो

अपनी पीड़ा और दर्द मुझे दे दो

अपनी नाराजगी मुझे दे दो

किंतु लौट आओ तुम मेरे यार

सुन लो इस दिल की पुकार

तुम्हारे दुख और दर्द और गम

मुझे सब है स्वीकार

तुम लौट आओ मेरे यार

अपने खोए हुए प्यार की खातिर

सिर्फ एक बार

तुम लौट आओ मेरे यार..!


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