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Manisha Jangu

Romance

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Manisha Jangu

Romance

वो बारिश और तुम

वो बारिश और तुम

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ये सच है कि मैनें कभी तुम्हारा शहर नही देखा,

इसलिए उस शहर की बारिश को

देखने का तो सवाल ही पैदा नही होता।

पर मैंनें मेहसूस किया है उस शहर को

तुम्हारी बातों में,

बिन मौसम भीगी हूँ उन बारिशों में,

तुम्हारी लिखी उन कहानियों में।

दूर कही समुंद्र में डूबते देखा है मैनें

सूरज को तुम्हारी आँखो में,

और ऊँची मंजिलों के बीच भी,

सर के ऊपर खुला आसमान देखा है,

तुम्हारी उन शरारतो में।

इसलिए तुम मानो या ना मानो,

मुझें आज भी वो सब पसंद है,

वो सूरज,

वो आसमान,

वो समुंदर,

वो बारिश और तुम।


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