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Neetu Maurya

Romance

4  

Neetu Maurya

Romance

तुम चले आओ न

तुम चले आओ न

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सब्र का ये बांध टूटने से पहले

एक बार तुम मुझे झलक अपनी दिखा जाओ न ।।

 

गले से अपने लगा जाओ न ,

लटों को मेरी सँवार जाओ न ।।

 

अँखियों से बहती इंतज़ार की धरा

को विराम दे जाओ न ।।

 

इन सुर्ख होंठो पे सजने वाली

मुस्कान को संग ले आओ न ।।

 

कानों में रस की तरह घुलने वाली अपनी 

हंसी और आवाज मुझे सुना जाओ न ।।

 

जिन अँखियों में बसा प्रेम का झरना है

वो प्रेम अँखियाँ मुझे दिखा जाओ न ।। 

 

जिस चेहरे के दर्शन मात्र से दिन का 

लम्हा लम्हा खास हो जाता है,

वो चेहरा मुझे दिखा जाओ न ।।

 

जिसके स्पर्श मात्र से ये दिल सुकून से भर जाता है

मन को जी भर के जीने को जी चाहता है ,


और प्रेम बरखा बन बरस जाने को जी चाहता है 

वो स्पर्श संग अपने ले आओ न ,

हां तुम चले आओ न ।। 


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