तुम पहना करो वो रंग सारे
तुम पहना करो वो रंग सारे
तुम पहना करो वो रंग सारे जो मुझे तुमसा महकाते हैं ,
और रंग बगिया के सारे मुझमें झलकाते हैं ,
पता हैं जब पहनते हो तुम रंग सफ़ेद तो मुझे
रात रानी के फूलों सा महकाते हो और रातों की नींदे
मेरी तुम हर के ले जाते हो ।।
जब पहनते हो तुम रंग ग़ुलाबी मुझे गुलाब सा तुम महकाते हो
और मन रूपी आँगन में मेरे सैकडों फूल तुम बरसाते हो ।।
जब पहनते हो तुम रंग हरा तो ,
मुझे इलाइची के पत्तों सा तुम महकाते हो और
स्वाद नया तुम दिल रूपी व्यंजन में ले आते हो ।।
जब पहनते हो तुम रंग लाल तो ,
मुझे जमां कुसुम के फूलों सा खिलाते हो बनाके
मुझे पवित्र भगवन के चरणों मे अर्पित योग्य बनाते हो ।।
जब पहनते हो तुम रंग नीला तो
मुझे तुम जल सा शीतल बनाते हो
और मन मेरे को करके शीतल आत्मा मेरी तृप्त कर जाते हो ।।
सुनो तुम पहना करो वो रंग सारे जो
हर दफ़ा मुझमें भरते अलौकिक खूशबू हैं और हर दफ़ा करते मुझे प्रेरित हैं ।।

