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Neetu Maurya

Romance

4  

Neetu Maurya

Romance

तुम्हारी परिणीता

तुम्हारी परिणीता

1 min
251


मैं उम्र भर तुम्हें लिखना चाहती हूँ

हाँ सिर्फ़ तुम्हें गुनगुनाना चाहती हूँ

जीवन की कहानी का मैं विषय,

 तुम्हें चुनना चाहती हूं

हाँ मैं तुममे जीना चाहती हूँ।

जब न हो कोई साथ खड़ा उस पल

मैं तुम्हें अपना साथी बनाना चाहती हूँ


सच कहूँ तो मैं ये जीवन सारा तुम्हारे

नाम करना चाहती हूँ , जब बात हो पूजा पाठ की तो 

मैं तुम्हें पूजना चाहती हूँ , 

मैं बनके तुम्हारी परिणीता तुम संग जीना चाहती हूँ।

जब बात हो बन्धन में बंधने की तो मैं तुम संग सात 

फेरे लेना चाहती हूँ, मैं बनके तुम्हारी

परिणीता तुम संग जीना चाहती हूं।


जब बात हो मौसम की तो

मैं मौसमों की तरह होके बेफ़िक्र 

बाहों में तेरे बहकना चाहती हूँ  

जब बात हो फूलों की तो मैं फूलों की

तरह बाहों में तेरी बिखरना चाहती हु , 

मैं तो बनके तेरी परिणीता संग तेरे जीना चाहती हूँ।


जब बात हो सावन की तो मैं मैं बनके प्रेम बरखा तुझपे 

प्रेम झड़ी बन निरन्तर तुझपे बरसना चाहती हूँ , 

मैं तो बनके तेरी परिणीता संग तेरे जीना चाहती हूँ।

जब बात हो अंधेरों की तो मैं तुम्हें

दिया रूपी करके उजागर अपने समीप रखना चाहती हूँ , 


जब बात हो मेरी मंजिल की तो मैं

तुझे अपनी मंज़िल बनाना चाहती हूँ 

जब बात हो मेरे जीवन साथी की तो

मैं तुम्हें अपना जीवन साथी चुनना चाहती हूँ, 

मैं बनके तुम्हारी परिणिता तुम संग जीना चाहती हूं।


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