अब
अब
रखो अधरों पे अधर अपने न कोई
अब सवाल करो ।।
बांहों की चादर में आ के तुम सिमट जाओ
रिवाजों न अब ख्याल करो ।।
इन सर्द रातों की सिहरन में चले आओ
तुम ओ सनम आ के अब प्रेम आलिंगन करो ।।
आ के जगाओ रातों में तुम अब
रातों को ज़रा रेशमी करो ।।
सांसों को मेरी दे के साँसे, ओ सनम
तुम प्रेम चुम्बन करो ।।
करके नाम मुझे अपने अब हर अधूरेपन
को तुम पूरा करो ।।