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Neetu Maurya

Romance

4  

Neetu Maurya

Romance

मेरे प्राण तुम

मेरे प्राण तुम

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मेरा तुम श्रृंगार हो ,

प्रेम की तुम सौगात हो ,

मरुथल सी ज़मीन पर 

प्रेम की तुम फुहार हो, 

तुम ही तो मेरे प्राण हो ।। 


सरल, शाश्वत तुम संग हो ,

मन मेरे की उमंग हो, 

कोरी सी चुनरिया पर

तुम सातों रंग हो ,

तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।


पूर्ण करके अपूर्णता को तुम ही 

तो मेरे पूरक हो , 

तुम मेरी प्रेरणा हो ,

तुम मेरे हास और उल्लास हो 

दुख के पलों में बनके आयी मुस्कान हो ,

तुम ही तो मेरे प्राण हो ।। 


मैं हूँ पुरवईया तो तुम बयार हो ,

पूजती हूँ जिसे वो  

प्रेम मूरत तुम हो ,

मैं सागर तो तुम तरंग हो , 

ह्रदय मेरे के तुम ही तो श्वास हो ,

 तुम ही तो मेरे प्राण हो ।। 

 

नईया मेरी की तुम ही तो पतवार हो ,

व्याकुल मन का मेरे तुम मधुर संवाद हो ,

मैं प्रेम पुष्प तो तुम शाख हो ,

विचलित मन का मेरे तुम धैर्य हो ,

तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।  



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