मेरे प्राण तुम
मेरे प्राण तुम
मेरा तुम श्रृंगार हो ,
प्रेम की तुम सौगात हो ,
मरुथल सी ज़मीन पर
प्रेम की तुम फुहार हो,
तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।
सरल, शाश्वत तुम संग हो ,
मन मेरे की उमंग हो,
कोरी सी चुनरिया पर
तुम सातों रंग हो ,
तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।
पूर्ण करके अपूर्णता को तुम ही
तो मेरे पूरक हो ,
तुम मेरी प्रेरणा हो ,
तुम मेरे हास और उल्लास हो
दुख के पलों में बनके आयी मुस्कान हो ,<
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तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।
मैं हूँ पुरवईया तो तुम बयार हो ,
पूजती हूँ जिसे वो
प्रेम मूरत तुम हो ,
मैं सागर तो तुम तरंग हो ,
ह्रदय मेरे के तुम ही तो श्वास हो ,
तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।
नईया मेरी की तुम ही तो पतवार हो ,
व्याकुल मन का मेरे तुम मधुर संवाद हो ,
मैं प्रेम पुष्प तो तुम शाख हो ,
विचलित मन का मेरे तुम धैर्य हो ,
तुम ही तो मेरे प्राण हो ।।