वो मुझे ,मैं उन्हें जंचती हूँ
वो मुझे ,मैं उन्हें जंचती हूँ
जब हंसती हूँ मैं तो,
उसके मन को ख़ूब भाती हूँ।
नींद में जब होती हूँ तो,
ख्वाबों में उसके खो जाती हूँ।
बैठूँ जो मैं सखियों संग तो,
ख़यालो में उसके गुम हो जाती हूँ।
बातें जो करूँ मैं तो,
नाम उसी का लेती हूँ।
मिलती हूँ जब मैं उससे तो
गीत उसी के गाती हूँ।
जब देते है वो दिल पे दस्तक तो
फूलों सी महकती हूँ।
करते है जब वो स्पर्श मेरा तो,
तितली सी मचलती हूँ।
सीधे सीधे जो कहूँ तो,
वो मुझे, मैं उन्हें जचती हूँ।