निर्छल , निःस्वार्थ
निर्छल , निःस्वार्थ
हां तुम्हें ही तो प्यार करना आता है निर्छल, निःस्वार्थ
तुम्हें हर रोज़ नए रंग मुझ में भरना आता है ।।
मेरी हँसी और ख़ुशी का ख्याल
सिर्फ तुम्हें ही तो रखना आता है ।।
अपने मन की साँसों की परवाह करना तुम्हें आता है,
बातों से मेरे गुस्से और दुःखों का पता लगाना
तुम्हें आता है, और अँखियों से मेरे खुशियों को
स्पर्श करना तुम्हें आता है,
हां तुम्हें ही तो प्यार करना आता है
निर्छल, निःस्वार्थ ।।
दिल को अपने बांहों में समेटना तुम्हें आता है,
सारा का सारा मेरा संसार बनना सिर्फ तुम्हें आता है,
हां तुम्हें ही तो प्य
ार करना आता है
निर्छल, निःस्वार्थ ।।
मेरे होंठो की मुस्कान बनना तुम्हें आता है,
मेरे दिल का चैन और सुकूँ बनना तुम्हें आता है,
हर श्रृंगार मेरा बनना सिर्फ तुम्हें आता है,
हां तुम्हें ही तो प्यार करना आता है
निर्छल, निःस्वार्थ ।।
हो के प्रतिबिंब मेरा मुझे संवारना तुम्हें आता है,
रोम रोम में हो बसे तुम विश्वास बनना तुम्हें आता है,
खुशियां सारी की सारी तुम हो
तुम्हें अपने दिल का गुरूर बनना आता है,
हां तुम्हें ही तो प्यार करना आता है
निर्छल, निःस्वार्थ ।।