मेरे अधूरे अरमान,,,,
मेरे अधूरे अरमान,,,,
आखिर अखियां लड़ गई हमारी भी एक दिन
दिल ऐसे लगा बैठे जैसे कभी रह ही नहीं सकते हम एक दूसरे के बिन।
तुम कहती थी कि मांगो तो दे दूं अपनी जान,
मैं कहता था तेरे ऊपर मैंने अपना सर्वस्व कर दिया है कुर्बान।
अगर तू जमीन मांगो तो मैं दिला दूं तुझे आसमान।
लेकिन किस्मत ने एक अजीब खेल है खेला।
पता नहीं क्यों तुम ने मुझे छोड़ दिया यूं अकेला।
बड़ी मुश्किल है पर खुद को संभाले रखा है,
प्रेम का बड़ा प्यारा स्वाद मैंने भी चखा है ।
मेरे सारे ख्वाब ,सारे सपने अब तेरे ही नाम है,
हर पल जुबां पर आता सिर्फ तुम्हारा नाम है, तुम्हें यूं ही याद करते रहना मेरा काम है।
बीते लम्हों की पलकों में अब गुजरती मेरी सुबह और शाम है।
दाने खिलाने के बहाने छत पर आया करती थी तब कबूतरों का झुंड संवाद पहुंचाता था एक दूजे को,
यूं मिलने के बहाने तुम्हारा छत पर आना, यू देखने के बहाने खिड़की साफ करना प्यार था, मुझे देखकर आंखें झुकाना ,और फिर मुस्कुराना भी प्यार था।
मगर अब पूरा छत हो गया है वीरान,
जिसे कबूतरों ने भी लिया है पहचान, आखिर रह गए अधूरे मेरे प्यारे से अरमान।।
चिट्टियां तो कल भी लिखा करता था आज भी लिखा करता हूं, तेरी अदाओं पर कल भी मरा करता था आज भी मरा करता हूं।
फर्क बस इतना है कि कल की सारी चिट्टियां तुम्हारे पास है और कल तक तेरी सारी अदाएं सामने देखा करता था।
लेकिन आज की सारी चिट्ठियां मेरी जेब में है और अब तेरी अदाएं सपने में देखा करता हूं।
वह चिट्ठियां जो तुम्हारे पास है, बहुत ही खास है, जिस पर लिखा मैंने अपनी एक-एक सांस है।
अब बस एक छोटी सी यही आस है, तुमसे एक बार और मिलने की मेरी अंतिम प्यास है।
छोड़ दिया है मैंने जीना बस ये आंखें खुली है तुझे देखने को, और यह शरीर अब बना सिर्फ एक जिंदा लाश है।
अब तुझे देखना ही मेरी अंतिम सांस है।
एक गुजारिश और है मुझे तुमसे। अब जब भी तुम आओगी तो तुम मेरा वह भोला सा मन वापस ले आना जो मैंने रखा तुम्हारे पास है, ताकि मैं सुकून से मर सकूं अपने मन के साथ।