क्योंकि हमारी आदत है मुस्कुराने की,,,
क्योंकि हमारी आदत है मुस्कुराने की,,,
क्यों गम करें हम उन्हें खोने की,
अरे गम तो वो करें जिनकी काबिलियत ही नहीं हमारे होने की।
यही फसाना है यारों इस जमाने की,
कोई खोता है तो कोई रखता है यहां चाहत कुछ पाने की,
जिंदगी में आए अगर कोई तो उनका स्वागत करना,
खुशियां मनाना उनके आने की,
जब कभी वो जाना चाहे तो मुस्कुरा कर अलविदा कहना
और गम ना करना उनके जाने की।
वह आए ही क्यों यह सोच कर ना सोचना स्वयं बिखर जाने की,
अरे किसी की हिम्मत ही नहीं हमें यूं हराने की।
और क्यों गम करें हम उन्हें खोने की,
गम तो वो करें जिनकी काबिलियत ही नहीं हमारे होने की।
जिंदगी के सारे लम्हे यूं ही बीत जाते हैं,
किसी की औकात नहीं यही बस जाने की।
यह जिंदगी एक मेला है यारों यहां कोई आ रहा है
तो कोई तैयारी में है यहां से जाने की।
चल पड़ा है तूफां यारों इस नए जमाने की,
खुद को समेटे रखना, ना रखना उम्मीद समेटे जाने की।
ना रखना कभी यह चाहत किसी को सताने की,
क्योंकि क्या पता उनका भी हो यह विचार आपको आजमाने की।
रखना ऐसा व्यवहार की हर कोई चाहे आप से दिल लगाने की,
रखना यूं ही बरकरार रिश्तों को
कि कभी नौबत ना आए उनके टूट जाने की।
क्योंकि जीवन के यह पल कुछ हसीन
कुछ नवीन कुछ रंगीन तो कुछ रंगहीन है मेरे दोस्तों,
करना कोशिश अपने कर्तव्यों को अच्छे से निभाने की।
हमारा क्या हम तो ठहरे मुसाफिर,
हमने बहुत कोशिश की सबको यह समझाने की,
मगर कोई हमें समझ ना पाया
क्योंकि हमारी आदत है मुस्कुराने की।