दर्द उन्हें भी होता है,,,
दर्द उन्हें भी होता है,,,
दर्द उन्हें भी होता है जो अपना दुख आंसुओं से बयां नहीं करते,
बल्कि अपने आंसुओं को पी जाया करते हैं।
वे अपना दुख बयां करने के लिए मुंह तो खोलते हैं
परंतु चीख नहीं निकलती,
बल्कि उनमें होती है एक बड़ी सी मुस्कुराहट,
क्योंकि उनके अंदर गूंजती है बस यही एक आहट,
तुम मर्द हो और मर्द को दर्द नहीं होता।
लेकिन अब उन्हें यह कौन बताए कि
एक ही ऋतु का प्रभाव हमेशा नहीं होता।
भरी गर्मी और बरसात के पश्चात जब सर्दियों का
दिन आता है तो सबको सर्द ही लगता है,
हां मर्द को भी दर्द होता है।
जरा उनसे पूछो जब वह बहन के पांव धोकर उसकी विदाई कर देता है
तो सिसकियां अंदर ही अंदर भरता है और उन्हें भी दर्द होता है।
जब सारे परिवार से अलग होकर जाता है वह परदेश,
तब उसके पास घर की यादें मात्र रह जाती है शेष।
क्यों कोई उससे यह नहीं पूछता कि उसकी मर्जी क्या है ?
क्या उसे शौक है दूर रहने की ?
जब वह बच्चों की आवाज किसी छुट्टी के दिन फोन पर सुनता है तो
क्या उसका जी नहीं मचलता उन्हें अपने बाहों में भरने की।
क्या आपका यह कथन गलत नहीं कि वह एक खुदगर्ज है,
अरे सदियों से निभाता आया वह अपना फर्ज है।
वह मर्द है और उन्हें भी दर्द होता है।