मैं एक सबल नारी हूँ
मैं एक सबल नारी हूँ
मैं एक सबल नारी हूँ
मुश्किलों से न हारी हूँ
तराश रही अब खुद को मैं,
रौशन करूँगी ये जहाँ।
स्वयं को कम न आंकूँगी
करुँगी मुट्ठी में जहाँ।
मैं एक सबल नारी हूँ।
मुश्किलों से न हारी हूँ।
बंदिशों में बहुत बंधी।
तूफानों में बहुत चली।
कदमों में अब रहे जहाँ।
चाहतों का फैला समां।
करुँगी मुट्ठी में जहाँ।
मैं एक सबल नारी हूँ।
मुश्किलों से ना हारी हूँ।
इच्छाओं को न दबाऊँ ।
पँखों से नभ चीर आऊँ।
बेझिझक घूमूं हर गली।
अब हो ग़म या खुशी कहीं।
सुन ले मुझे अब ये जहाँ।
करुँगी मुट्ठी में जहाँ।
मैं एक सबल नारी हूँ।
मुश्किलों से न हारी हूँ।
न चाहिए हीरे मोती,
न कोई ऐशो आराम।
ख्वाहिशें कभी न दबेंगी,
ऐसा बनाऊँ कारवां।
करुँगी मुट्ठी में जहाँ।
मैं एक सबल नारी हूँ।
मुश्किलों से न हारी हूँ।
