उड़े चौपाल पर गुलाल
उड़े चौपाल पर गुलाल
चुन लेते हम एक चौपाल,
वहाँ मचाते खूब धमाल l
मिलकर सब गुलाल लगाते,
होता सबका बुरा सा हाल l
भांग पकौड़े का स्वाद निराला,
सबका मुंह रंगीला- काला l
हर तरफ होता हँसी ठहाका,
रंग देख काका छुप जाताl
प्यार के रंग में भीग-भीग कर,
हर चेहरा खिलता जी जाताl
विलय होता तब अहंकार का,
मुस्कानों से दिल भीग जाताl
बैर-भाव से सब ऊपर उठते,
हर दिल दूजे को गले लगाता l
होली में सब दुःख भूलकर,
दीन-दुखी मन भी हर्षाताl
गोरी ढूंढें साजन को अपने,
जोबन मन उसका इठलाताl
देख सजनी को रूठा साजन,
पिचकारी की धार बनाताl
रंग हरा, गुलाबी, नीला और पीला,
सब मिलकर इन्द्रधनुष बन जाता l
आओ रंगों से हम खेले होली,
होली एकता का पाठ पढ़ाता l