ऐ युवा
ऐ युवा
पसंद किसे नहीं होता आकाश
कहां दिल चाहे हो अमावस की रात
ख्वाहिशों को जो शिथिल ना होने दे
उसी के जीवन में होती सुखमयी प्रभात
ख्वाहिशों का अंबार होता हर मन में
उड़ना चाहते सब नील गगन में
खुद को बंदिशों में जो जकड़े रखे
तो कैसे पहुंचेंगे फिर अंजुमन में
आशा का दीप जिस मन जलता रहा
जागती अँखियों में सपना जहां पलता रहा
आज नहीं तो कल दम भरेंगे बेशक
पंखों में जो अनवरत ओज भरता रहा
