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Neelam Sharma

Inspirational

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Neelam Sharma

Inspirational

शक्ति-स्वरूपा

शक्ति-स्वरूपा

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मैं नारी - नर- नारायणी,शिवि-शंकरी शिव-शक्ति हूँ

ईशा,ईश्वरी-इष्ट ईर्ष ईश्वर की सुन्दर अभिव्यक्ति हूँ ।


संगोष्ठी परिचर्चाएँ सुनकर के निज अंतर्मन अधीर हूँ

सशक्तिकरण नारों में ही बस, गूँजी बन शमशीर हूँ।


कहते स्त्री शक्ति स्वरूपा लेकिन मैं सहती पीर हूँ

मैं वेद,पुराण,ग्रंथों की ऋचा,वीरांगना हूँ और वीर हूँ।


मैं नारी- नर-नारायणी,निर्मल नदिया का नीर हूँ

मैं नारी नीलम नभ नवीन,मैं धीरा धरणी धीर हूँ।


समग्र समाज सुशिक्षित किंतु अंतत: व्यसन उतारी हूँ

मैं जग-जननी,जग पालक लेकिन मात्र अबला नारी हूँ।


शक्ति-स्वरूपा होकर भी,गई कोख में माँ की मारी हूँ

निस वज्रघात से चोटिल हो,विश्वासघात से हारी हूँ।


संस्कृति-संस्कारों की हूँ शाला,लक्ष्मीबाई,पन्ना और सीता हूँ

सद्कर्म रही निर्वाहिनी सदा,संगिनी-सहधर्मिणी अर्पिता हूँ।


मैं आयत पाक कुरान सुनो,ऋचा वेद-पुराण और "गीता" हूँ

घर-वंश-देश रोशन करती,पहचान पुनीत शुचिता हूँ।


सुन बहुत हुआ रोना-सहना,गई हवन कुंड में वारी हूँ ।

शक्ति को मत ललकारो तुम!मत समझो कोमल सुकुमारी हूँ!


दुर्गा-काली,रणचंडी-ज्वाला,मैं अरिदल खप्पर धारी हूँ

मुझको न कमतर आंकों तुम,करवाल बनी दो धारी हूँ।



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