प्रणय पथ
प्रणय पथ


प्राची के वातायन पर चढ़कर बैठ प्रात: किरन के रथ पर।
धन्य हुए वे तृण, कुश, कांँटे जो थे संगी प्रणय के पथ पर।।
पोर -पोर तन ली अँगड़ाई बंद सुमन मन खिल आया।
मेरी उर वीणा पर किसने राग मल्हारी गीत बजाया।।
संग चली मधु गंध सुवासित धरा हृदय आज प्रफुल्लित।
हिय में घुली प्रेम रसधारा,स्वर लहरी मधुमास उल्लासित।।
मंद पवन संग बहकर आई, सपनों की मीठी मधुर घटा।
अलकों को सहलाने लगती, चंचल सी कोई न्यारी छटा।।