प्रेम का पथ
प्रेम का पथ
प्रीत की राहें सरल न होतीं!
हर मोड़ वियोगिनी अग्नि जलती।
धैर्य, समर्पण, त्याग अगर है,
तभी प्रणय की गंगा बहती॥
प्यार की राहें जटिल कंटीली,
कभी छाँव, कभी धूप हठीली।
चुनते चलो, खुशियों के मोती
हर ठोकर नित नई चुनौती।
प्रेम की राहें अनूठी होतीं,
रे! वसंत ऋतु फुलवा पिरोती।
कभी छाँव कभी धूप विरह की,
कभी चाँदनी सीप में मोती।

