इश्क का तोता
इश्क का तोता
कहती है मन की चिरैया
इश्क का सर्प डसा क्या भैया ?
अजब बेचैनी है दिल में,
सुकुं ढूँडे ये पागल मन,
नहीं इसको समझ आता
इश्क तो है दिवानापन।
है लाईलाज बीमारी,
एक तुम ही नहीं प्यारे,
ये दुनिया है दुखी सारी
प्यार ज़िसे कहते हैं,
होती वो मीठी कटारी,
जो पड़ती है जान पर भारी।
इश्क के खेल निराले,
ये सब रिश्ते भुला डाले।
हो ज़िसकी किस्मत मिल जाए,
नहीं तो प्राण ले डाले।
इसलिए कहती है नीलम,
गधा, शेर, सांप, मगरमच्छ कुछ भी पालें।
जीना हो जो सुखद, तो इश्क का तोता न पालें।
