एक आह्वान संघर्ष के लिए
एक आह्वान संघर्ष के लिए
ज़िन्दगी में सभी चाहते हैं, अपना मुकाम बनाना,
कुछ कर जाना जहाँ में, अपने लक्ष्य को पाना।।
लेकिन क्या आसान है, यह सब सहजता से कर जाना?
चाहते हैं सभी कि, उनकी अलग पहचान हो,
नाम हो दुनिया में, अपना भी सम्मान हो,
दुनिया से आगे नहीं, पर दुनिया उनके साथ हो,
अधिकार भी हैं सबका,अपने सपनों को सजाना।
फिर मनुष्य के हाथ है, उसे बनाना या भुलाना।
किसी भटके का साथ नहीं देता है ज़माना,
इसलिए ही तो चाहते हैं हम, दुनिया को बताना।
बुद्धि बल के बल पर, ज़माने को हिलाना।।
किन्तु! इसके लिए पड़ेगा, रक्त और स्वेद को बहाना,
भुलाना होगा खुशियों को,अगर भविष्य है बनाना।
सीखा नहीं है हमने कभी, गम से हताश हो जाना,
क्षणभर का है, अंधेरा क्या फिर इससे घबराना।
हँसना भी पड़ेगा और होगा सबको भी हर्षाना,
लक्षित के लिए कहाँ सही है, गम को दिल से लगाना
जरुरत हैं वक्त को, हमारे भुजबल की अभी,
करना ही होगा वक्त के आगे हँसने का बहाना।
छोड़ेगी नहीं दुनिया कभी, राह में जाल बिछाना
बहते नहीं हैं, हम जानते हैं औरों को बहाना।।
प्रलय के बाद ही तो आता है, मौसम सुहाना,
मेहनत की कलम से लिखेंगे हम, दुनिया का फ़साना
लिखते नहीं पर ज़रूरी था ये संदेश दुनियां तक पहुँचाना।।
