खुशी और गम
खुशी और गम
अरे शोर तो खुशियां मचाती हैं,
गमों का क्या वे तो मौन रहा करते हैं।
माना कि खुशियां बना देती है दुनिया को रंगीन,
मगर गम तो उन्हें कर देती है नवीन।
फिर भी नाराज हमेशा खुशियां ही होती हैं,
क्योंकि गमों के इतने नखरे नहीं होते जनाब।।