टा टा बाय बाय
टा टा बाय बाय
दोस्ती कब प्यार में बदलेगी इसका कोई तय फ़ॉर्मूला नहीं है....
इसी नियम से उन दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गयी....
अब प्यार तो प्यार है जिसमें दोनों तरफ बराबर आग लगी होती है....
लेकिन यह कोई टीनएज वाला प्यार थोड़े ही था.....
जिसमें बस प्यार होता है....
बल्कि यह प्यार तो कॉलेज के फाइनल ईयर में हुआ था....
जहाँ वे दोनों जानते थे कि मुस्तकबिल में आगे क्या करना है....
एक कैल्कुलटेड प्यार जहाँ दोनों फैमिलीज़ के स्टेटस का अंदाज़ा था.....
हाँ, तो दोनों को प्यार हुआ था...
साथ साथ कॉलेज जाना....
साथ साथ पढ़ाई करना...
साथ साथ नोट्स एक्सचेंज करना...
साथ साथ मूवी देखना....
दोनों परिवार राज़ी थे क्योंकि बचपन से दोनों साथ में जो पढ़ते थे....
दोनों तरफ़ खुशियाँ ही खुशियाँ....
किसी को कोई एतराज़ नहीं था....
यूँ ही एक दिन उन दोनों में किसी बात पर आर्ग्युमेंट हुआ....
यूनिवर्सिटी में अक्सर डिबेट में जीतनेवाली उस लड़की ने अपनी बात पुरज़ोर तरीके से रखी....
और अपनी बात से कायल भी किया...
लेकिन इस दफा प्यार में एकेडेमिक्स मिक्स हो गया....
दोनों ने हार नहीं मानी और बात बहुत आगे बढ़ गयी....
इक्कीसवीं सदी की लड़की ने मन ही मन अपनी बात पर कायम रहने का सोच लिया....
वह अपनी बात पर कन्विंस जो थी....
बस फिर क्या !
दोनों ने चुप्पी साध ली....
किसी रिलेशन में चुप्पी आ जाये तो उस रिलेशन का टूटना लाजमी होता है....
इस सच्चाई को वह लड़की भी जानती थी....
लेकिन उसे प्यार पर भरोसा था....
लड़का चुप रहा क्योंकि वह जानता था कि लड़की ही सॉरी बोलकर मामले को ठंडा करेगी....
सदियों से ऐसा ही होता आया है...
लेकिन इस बार की चुप्पी इक्कीसवीं सदी की लड़की की थी...
क्योंकि हर रिलेशन जड़ों को मजबूत करने के लिए स्पेस माँगता है...
फिर क्या?
इस बार सॉरी नही हुयी.....
और प्यार टा टा बाय बाय हो गया.....