तुम बीन सूनी दीवाली है!
तुम बीन सूनी दीवाली है!
मेरे घर की चौखट पे,
जलता है हर साल दीया,
आशाओं की बाती ले,
पूछता वही सवाल दीया,
कि तेरा कब बनवास मिटेगा,
बतला दो कब आओगे,
आ कर अपने हाथों से,
बोलो कब मुझे जगाओगे,
कि तुम बिन सूनी है गलियां,
हर रात अमावस वाली है,
घर की चौखट बोल रही,
तुम बीन सूनी दीवाली है!
तेरे बस होने से हीं,
ख़ुशियों का मौसम होता था,
मैं तो बस दीया नाम का,
घर तुझ से रौशन होता था,
तुम भाई बहने सब मिल,
दीपों में प्रेम पिरोते थे,
आंगन खुद रंगोली बन,
सपने तेरे संजोते थे,
अब रूठी है बाती सब,
दीपों की थाली खाली है,
घर की चौखट बोल रही,
तुम बीन सूनी दीवाली है!
तुम जो अगर आ जाते तो,
सांसों को हवा मिल जाता रे,
तुम जो अगर आ जाते तो ,
जख्मों को दवा मिल जाता रे,
तब देख तुझे हम इठलाते,
आँखों को सबर बस हो जाता,
तुम जो अगर आ जाते तो,
यह घर फिर से घर हो जाता,
कि रस्ता देखे नीड़ तेरा,
बुलाए डाली डाली है,
घर की चौखट बोल रही,
तुम बीन सूनी दीवाली है!
