मैं शायद आसमान तुम बारिश हो मेरी
मैं शायद आसमान तुम बारिश हो मेरी
मैं शायद आसमान
तुम बारिश हो मेरी
जैसे मैं प्रार्थी
तुम ख्वाहिश हो मेरी।
हो रात मे अंधेरा
तुम चान्द का सा साया
जो मैं अगर एक मोह सा
तो तुम हो मेरी माया।
इस धूप के समुद्र में
तुम पेड़ की सी छाया
और तुम हो खूब हसीं
मैं हूँ अतीत ज़ाया।
के मिलना ना मिलना
ये पता नहीं कि होगा
हवा में अपना उड़ना
ये पता नहीं कि होगा।
बस इतना पता है दिल को
ये जान लो अब तुम भी
जैसे मैं हूँ एक हत्या
तुम साज़िश हो मेरी
इस मतलबी सफ़र में
तुम नाज़िश हो मेरी
मैं शायद आसमान
तुम बारिश हो मेरी।
जैसे मैं प्रार्थी
तुम ख्वाहिश हो मेरी
सूनसान सफ़र में
हो मासूम की सी काया।
तुम्हें कम मिला है शायद
कुछ प्यार है बकाया।
उम्मीद से भी ज़्यादा है
इश्क तुमसे पाया
मैं आपकी ही खातिर
हाँ गीत लिखता आया।
कि आँसुओं का रुकना
ये पता नहीं कि होगा
एक तुम्हारा मेरा मिलना
ये पता नहीं कि होगा।
बस इतना पता है दिल को
सुन लो ये बात तुम भी
जैसे मैं हूँ सूरज
तुम तपिश हो मेरी
मैं टूटता हूँ जब जब
तुम कोशिश हो मेरी
मैं शायद आसमान
तुम बारिश हो मेरी।
जैसे मैं प्रार्थी
तुम ख्वाहिश हो मेरी
हाँ जिस्म अलग भले हैं
तुम ही तो रूह मेरी
बिखरे पड़े शहर में
तुम ही तो व्यूह मेरी
धुंधला हुआ है जब जब
आंखें मेरी रही हो
तुम्हीं तो इक अकेले
पूरा समूह रही हो
के मसलों का सुधरना
ये पता नहीं के होगा
एक तुम्हारा मेरा मिलना
ये पता नहीं कि होगा
बस इतना पता है दिल को
ये जान लो अब तुम भी
जैसे मैं हूँ एक मोअल्लिम
तुम दानिश हो मेरी
हर रोज़ शक अगर है
तुम खारिश हो मेरी।
मैं शायद आसमान
तुम बारिश हो मेरी
जैसे मैं प्रार्थी
तुम ख्वाहिश हो मेरी।
मशरूफ़ से सफ़र में
तुम ही तो सार मेरी
और बेफ़िज़ूल ज़िन्दगी में
तुम असार मेरी।
गर्दिश पड़ी है जब जब
मुहाफ़िज़ मेरी रही हो
इक तुम्ही तो हाथ थामे
हरगिज़ मेरी रही हो।
सूखे में गुल का खिलना
ये पता नहीं कि होगा
एक तुम्हारा मेरा मिलना
ये पता नहीं कि होगा।
बस इतना पता है दिल को
सुन लो ये बात तुम भी
जैसे मैं हूँ इक अलाव
तुम आतिश हो मेरी
निरे जज़्बात दिल में
पर तुम कशिश हो मेरी
मैं शायद आसमान
तुम बारिश हो मेरी
जैसे मैं प्रार्थी
तुम ख्वाहिश हो मेरी।