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Manthan Rastogi

Inspirational

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Manthan Rastogi

Inspirational

मोहताज़ उम्र नहीं होती

मोहताज़ उम्र नहीं होती

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कोई भी रूह 

बेहुनर नहीं होती

मोहताज़ कभी कोई 

उम्र नहीं होती


सीखने वाले तो

सीख जाते हैं 

हुनर अपना दुनिया 

को दिखाते हैं 

कुछ किये बिना

क्या नाम ही होगा

काम से अपने

चलो सबको सिखाते हैं 


हाँ ज़माने में बुज़ुर्गी 

ज़िक्र नहीं होती

मोहताज़ कभी कोई 

उम्र नहीं होती


कर्म भूमि में 

गुज़ारते ज़िन्दगी 

कुछ लोग बड़ते नहीं 

कुछ संवारते ज़िन्दगी 

जुनून का ही खेल है

वरना क्या ही मेल है

उम्र का नहीं है दोष

बस सपने ही जेल हैं 


और जैसे रात में 

दोपहर नहीं होती

मोहताज़ कभी कोई 

उम्र नहीं होती


उठो चलो अभी

ठहरे थे जो डर से

कदम तो उठाओ

जगह ले लो अवसर ये

साथ में उठेन्गी 

हालांकि कुछ उंगलियां 

तुम तान के सीना

चलते चले जाना


और इतिहास तुम बनोगे

रुकावटे ज़हर नहीं होती

मोहताज़ कभी कोई

उम्र नहीं होती


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