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Manthan Rastogi

Drama

3  

Manthan Rastogi

Drama

माफ़ीनामा

माफ़ीनामा

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202

ना गलतियों का प्रायश्चित

तो माफ़ियां अधूरी हैं 

मांगने के जितना

माफ़ करना भी ज़रूरी है


भूला सुबह का शाम को

गर वापसी है आ गया

हाँ माना उससे पहले

रंज आपसी था छा गया


तो क्या हुआ आया तो है

आंखें नमी लाया तो है

होगी रही शायद कदर

या फ़िक्र ना ज़ाया तो है


लो लगा ना तुम गले

धो दो सभी ना अब गिले

सिलसिले मोहब्बतो के

गढ तो प्रेम के किले


रंजिशे भी कर दो साफ़

कर दो ना अब उसको माफ़।


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