माफ़ीनामा
माफ़ीनामा
ना गलतियों का प्रायश्चित
तो माफ़ियां अधूरी हैं
मांगने के जितना
माफ़ करना भी ज़रूरी है
भूला सुबह का शाम को
गर वापसी है आ गया
हाँ माना उससे पहले
रंज आपसी था छा गया
तो क्या हुआ आया तो है
आंखें नमी लाया तो है
होगी रही शायद कदर
या फ़िक्र ना ज़ाया तो है
लो लगा ना तुम गले
धो दो सभी ना अब गिले
सिलसिले मोहब्बतो के
गढ तो प्रेम के किले
रंजिशे भी कर दो साफ़
कर दो ना अब उसको माफ़।