तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
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तुम्हारा साथ था मगर, साथ दे रहे थे जैसे कोई मजबूरी वश,
तू पास था मगर, अब गहरी नज़दीकी नहीं हो रही थी महसूस।
तेरे साथ होती थी बात, पर लगता था जैसे अब नहीं रहे थे जज़्बात,
दोनों में थी पहले आपसी समझ, शायद अब बदल गए तेरे खयालात।
तुझे समझाने की पूरी कोशिश, पर समझे नहीं तुम मेरे अल्फ़ाज़,
किसी और से न होगी चाहत, चले आओ दिल में जगह है वही ख़ास।