वहम
वहम
वहम था मेरा
जो आज टूट सा रहा है,
हमदर्द समझा था जिसे,
वो भी अब दर्द दे रहा है।
न सोचा था ऐसा भी होगा एक दिन,
पर हो यही रहा है,
आज मेरा दिमाग दिल का साथ छोड़ रहा है।
अपनी सच्चाई के हज़ारों सबूत दिए,
अपना हर ग़म छुपा दूसरों को खुशियाँ बांटी,
आज जब सहारे की ज़रूरत पड़ी,
हाथ थमने का दावा करने वाले भी साथ छोड़ कर चले गए।
पर अच्छा है टूट गया जो वहम था मेरा,
अकेले ही हर हाल में जीना है,
यह जीवन का सत्य बता गया।