STORYMIRROR

Vidhi Mishra

Abstract Drama Tragedy

3  

Vidhi Mishra

Abstract Drama Tragedy

वहम

वहम

1 min
799

वहम था मेरा

जो आज टूट सा रहा है,

हमदर्द समझा था जिसे, 

वो भी अब दर्द दे रहा है।


न सोचा था ऐसा भी होगा एक दिन,

पर हो यही रहा है,

आज मेरा दिमाग दिल का साथ छोड़ रहा है।

अपनी सच्चाई के हज़ारों सबूत दिए, 

अपना हर ग़म छुपा दूसरों को खुशियाँ बांटी,

आज जब सहारे की ज़रूरत पड़ी,

हाथ थमने का दावा करने वाले भी साथ छोड़ कर चले गए।

पर अच्छा है टूट गया जो वहम था मेरा,

अकेले ही हर हाल में जीना है,

यह जीवन का सत्य बता गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract