अभी भी कह सकते हो.....
अभी भी कह सकते हो.....


अभी भी कह सकते हो,
जो दिल की गहराइयों में छुपा है,
जो कह कर भी अनकहा सा है,
जो चुभता तो है तुम्हे पर बयां नहीं हो पाता है,
जो बताना तो चाहते हो पर बताने से पहले ही खुद को थाम लेते हो तुम,
हाँ जानती हूँ, कुछ बातें बिन कहे ही समझी जाती हैं,
पर अनकही उन बातों को मुझतक पहुंचने का एक ज़रिया तो दो।
खोल दो उन बन्द दरवाजों को, आज़ाद कर दो अपने अल्फ़ाज़ों को,
तोड़ दो हर बेड़ी को, पहुंचा दो दुनिया तक अपने ख्यालों,
कभी न सोचना की देर हो गयी है,
याद रखना, मुझसे कभी भी कुछ भी कह सकते हो तुम।