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Vidhi Mishra

Abstract Classics

4.5  

Vidhi Mishra

Abstract Classics

हिंदी

हिंदी

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मान है,

सम्मान है,

तू मेरा स्वाभिमान है,

तू ही मेरा अभिमान है।


पहले बोल तुझमें ही बोले,

तुझमें ही सोचा हर क्षण,

लाख हों तेरे देश में दलाल विदेशी भाषाओं के

पर न चुका सकेंगे तेरा ऋण।


तू श्वेत है, सम्पूर्ण है,

सनातन की वाणी है,

दौर चाहे हज़ार बदलें,

तू ज़ुबाँ हमारी पुरानी है।


माना तू कुछ खो सी गयी है,

तेरे अस्तित्व पर सवाल खड़े करने वाले

'सुशिक्षित' कई हज़ार हैं,

पर न भूलें वो ग़ुलाम अंग्रेज़ी के,

तू असल वजूद हमारा है,

शान है तू हिन्द की, तुझसे ही हिंदुस्तान है।


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