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Sonia Jadhav

Abstract Drama Tragedy

3.9  

Sonia Jadhav

Abstract Drama Tragedy

पापा की धड़कन

पापा की धड़कन

1 min
325


मैं धड़कन हूँ आपकी पापा,

जब तक आपकी धड़कनें चलेंगी,

तब तक मेरा अस्तित्व रहेगा।

ख्याल रखना अपना,

हमेशा मैं साथ नहीं रहूँगी।


मुझे जाना होगा किसी और के घर,

अंजान रिश्तों को अपना बनाने के लिए।

मुझे अलग होना होगा अपनी मिटटी से,

किसी और के आँगन में पनपना होगा,

आपके दिए संस्कारों को जिंदा रखना होगा।


लेकिन मैं जहाँ भी रहूँ,

मेरी आत्मा सदा आपके आँगन में ही रहेगी ।

देखेगी दूर से आप सच में ठीक हो या नहीं,

या यूँ ही फोन पर मुझसे झूठ कहते हो ?


जानती हूँ, पहला निवाला लेते होगे जब रोटी का मुँह में,

तो मेरे हाथ के बने गर्म फुलकों की याद आती होगी।

दवाई खाने में आनाकानी करता होगा जब मन कभी, 

तो मेरी दवाई से भी कड़वी डांट याद आती होगी।

मैं कहीं भी रहूँ, मन में सदा आप ही की चिंता रहेगी।


मैं भी खाऊँगी जब रोटी तो पहले यही सोचूंगी,

 मेरे पापा ने खाना खाया होगा की नहीं?

जब होगा दर्द कभी मेरे पैरों में तो यही सोचूंगी,

पापा ने अपने घुटनों के दर्द की दवाई खायी होगी की नहीं ?


मैं कहीं भी रहूँ, मेरी आत्मा सदा आपके आँगन में ही रहेगी।

मैं धड़कन हूँ आपकी ,

जब तक आपकी धड़कनें चलेंगी,

तब तक ही मेरी साँसे रहेंगी।

अपना ख्याल रखना पापा, 

आपकी बेटी सदा आपका ख्याल रखने के लिये,

आपके पास नहीं रहेगी।


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