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Kartik Thukral

Drama

4.0  

Kartik Thukral

Drama

बहते आँसू

बहते आँसू

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बहते आँसू कभी गवाए नहीं जाते  

लब पर कुछ आँसू लायें नहीं जाते


कुछ खोकर अफ़सोस तों माटी को भी होता है  

उस लाल को दिल मेरा भी रोता है


सच है कुछ कर्ज़ चुकाए नहीं जाते 

सदा गौरवान्वित है वो सर जो कभी झुकाये नहीं जाते


हे सेवक तू प्रभु के मेरी भी सलामी ले ले 

अनंत अग्नि; हे इन वीरों की कुर्बानी ले ले।


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