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KUMAR अविनाश

Abstract Romance

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KUMAR अविनाश

Abstract Romance

“हसीन ख़्याल”

“हसीन ख़्याल”

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  दिल चाहता है जब हो तेरा मेरा मिलन

   तेरे रास्तों को फूलों से सज़ा दूँगा मैं


   तेरे पलकों की छाँव की है चाहत मुझे

 तेरी पलकों में दो जहां की ख़ुशियाँ पा लूँगा मैं


तेरे होंठ, मधुरस सुधा भरे प्यालों की चाहत मुझे

तेरे होंठों के मधुरस भरे सुधा-रस को पी लूँगा मैं


  तेरे चेहरे की शरारत की चाहत मुझे     

  उस शरारत को तेरी मुस्कुराहट में पा लूँगा मैं                         


   तेरी हसीन यादों की हैं हसरत मुझे

तेरी यादों को मन की तन्हाई में पा ल

ूँगा मैं


   तेरी मासूमियत की हैं चाहत मुझे

 तेरी मासूमियत को तेरे वादों में पा लूँगा मैं


   तेरे ख़्यालों की हैं चाहत मुझे...,

तेरे ख़्यालों को अपने ख़्वाबों में पा लूँगा मैं               


  तेरे हुस्नों जमाल की शायरी की हसरत मुझे

उस शायरी को तेरी बातों में पा लूँगा मैं


 तुझसे ताउम्र मुहब्बत की हैं आरज़ू मुझे

  दिल चाहता हैं, ये मंज़र बना रहे सदा


   “खुदा तू मेरी रहे मैं तुम्हारा रहूँ...,               

 इबादत मैं तेरी इस तरह करता रहूं


         


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