फितरत बचपन की
फितरत बचपन की
फितरत में नहीं हमारे इसलिए कोई सीमा भी नहीं लाघंते।
हम भी हैं शैतान बच्चे किसी के यह भी नहीं मानते।
भूत सपनों में क्यों आते हैं भगवान धरती पर
नहीं आते यह भी नहीं मानते।
मेले में सब कुछ चाहिए हमको
पैसे कहां से कितने कब आए यह भी नहीं जानते ।
प्यार चाहिए प्यार ही करते प्यार से हम प्यार से होते पेश
सभी से किसी का नाम पता भी नहीं मांगते।
दिल के सच्चे मन के कच्चे हम हैं ऐसे फूल से
बच्चे जो किसी का दिल दुखाना भी नहीं जानते।
हार कर खेल में हंसती आंखें गिर जाने पर
आहत हुए पर हम उसको चोट नहीं मानते।
कितना प्यारा था वह बचपन जिसके जाने की चाहत नहीं थी।
कोई लौटा दे फिर वही दिन जब छीन कर रोटी खा लेते थे।
खिलौना का टूटने पर मातम नहीं था
नया खिलौने पर म म्मी का भाषण सही था।
हम बच्चों की सरकार थी लेकिन फिर भी कोई शासन नहीं था।