घबराहट
घबराहट
आज पिता जी का घर देर से आना ।
मां की घबराहट का विषय था।
यूं तो मां हर छोटी बात पर चिंता करने लग जाती हैं।
पर आज शादी की १५ सालगिराह पर मां को करना कुछ ख़ास था।
वक्त बीत रहा था , पर आज पिता जी का अता पता न था।
मां का मन , मन ही मन घबराया हुआ था।
तभी दरवाजे की घंटी बजी और मां भागे भागे दौड़ी।
पिताजी को सामने देख वो खुशी से मुस्कुराई।
अंदर आके पिता जी ने जब दी मां को बधाई।
मां तब गुस्से में थोड़ा मुंह फुलाई।
तब पिताजी ने देरी से आने की वजह बताई।
वो ढूंढने गए थे वो गजरा हो हर साल वो तोहफ़े के
रूप में मां को हर सालगिराह पर देते थे।
पिता जी का अपरम प्यार देख मां की आंखें भर आई।