तन्हाई के आलम में
तन्हाई के आलम में
तन्हाई के आलम में, किसी दिल का सहारा मिल जाए,
डूबती हुई कश्ती को अपनी, एक किनारा मिल जाए,
बरसा देंगे बारिश यू खिलखिलाकर हम,
जो दिल जुदा, फिर बूँद से मिल जाए
जुदाई होती नहीं यूँ ही, समझता दिल ये है,
दूर होकर, पास रहना, इसकी फितरत में है,
यूँ ही नहीं दो दिल एक कहे जाते
जीकर देखो कभी प्यार में, बात तो उसी में है
चाहते हैं जिसे, चाहते है अभी, चाहते और रहेंगे,
क्या खुद से थोड़ी कोई दिल यूँ खफा हो सकता है भला..
✍️ अमन गुप्ता ©