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सोनी गुप्ता

Abstract Romance

4.8  

सोनी गुप्ता

Abstract Romance

तुम लौट आओ

तुम लौट आओ

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तुम दूर हुए जब से, 

मन की बगिया सूनी सी लगती हैं, 


वक्त व खुशियों वाला कहाँ गुजर गया, 

वह गलियां सभी वीरान सी लगती हैं, 


बातें सारी खत्म हो गई बीच हमारे, 

शोर में भी खामोशियाँ सी लगती हैं, 


अगर तुम लौट आते जीवन में, 

तुम से ही लगता दिल को मेरे, 

खुशियों की सुंदर सी दुनिया सजती है ! 


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