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Rajivani singh

Romance

4.5  

Rajivani singh

Romance

कान्हा

कान्हा

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क्या कहूं तुम्हें कान्हा

प्यार कहूं विश्वास कहूं

बिन मौसम बरसात कहूं

सब कुछ तो हो तुम मेरे

मनभावन मन लुभावन

हे हर रूप तुम्हारा




कितने है नाम तुम्हारे

छलिया, मोहन, मुकुंद,

कृष्ण कन्हैया, श्याम, मुरली मनोहर

कितने हैं अवतार तुम्हारे


हर रूप में लगते हो मुझको तुम अपने

मेरे मन मंदिर में स्थान तुम्हारा

जीवन में है बस ये अभिलाषा

मीरा सी भक्ति दे दो, राधा सा प्यार


अपने चरणों में थोड़ा स्थान दे दो

 मांगू मैं अब यही हर बार

मधुर बांसुरी की धुन पे

मैं भी गोपियों सी नाचूं


तुम्हारी मनमोहक मुस्कान पे

मैं भी अपना मन हारू

बस यही हसरत अब मेरी

मेरे कान्हा मेरे कान्हा


क्या कहूं तुम्हें कान्हा

प्यार कहूं विश्वास कहूं।


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