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Rajivani singh

Romance

4.3  

Rajivani singh

Romance

कुछ अधूरा कुछ पूरा

कुछ अधूरा कुछ पूरा

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कुछ  टेढे-मेढे रास्तों से गुजर रही है यह जिंदगी

एक तुम्हारे ना होने से

काश कि तुम ठहर जाते

मेरी एक आवाज पे

दिल नादान है, दिल नादान था

तुम्हारी एक मुस्कान पे


क्या हुआ अगर तुम्हें प्यार नहीं मुझसे

मुझे तो प्यार है तुमसे

बिन छुए तुमने क्यों दस्तक दी इस दरवाजे पे

तुम होते तो सब कुछ होता

तुम बिन सब वीरान है, सब रेगिस्तान है


उदासी और खामोशी के

दायरे कुछ अलग से हैं आजकल

कुछ खबर नहीं है अपनी

इन उलझनों में खुद उलझ सी गई हूं

क्यों होता है प्यार उन्हीं से

जिन्हें आपकी फिक्र नहीं होती


सच एक तुम्हारे हां से सब कुछ बदल जाता

मैं और तुम नहीं रहते, सब हम हो जाता

इजहार तभी पूरा होता है जब जवाब मिले

हर जिक्र घूम फिर कर तुम ही पे आ जाती है

हां ! मुझे प्यार है तुमसे

ये हर पल एहसास दे जाती है।


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