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Rajivani singh

Romance

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Rajivani singh

Romance

प्यारा सा रिश्ता

प्यारा सा रिश्ता

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एक उलझन सी है उसे सुलझाओ ना

अधूरा है या पूरा बतलाओ ना

जितना भी समझूँ जितना भी जानूँ

क्यों लगता है अभी भी अंजाना सा

ये प्यार है या कुछ और बतलाओ ना

दीया दर्द तुमने जितना खुशी भी उतनी दे दो ना


रेत सा पिघलता वक्त क्यों चाहूं इसे थामना

क्या मुमकिन है खुशी के पल को दोबारा वही रोकना

नहीं चाहती कुछ भी अब बस यही है कामना

थाम के तुम्हारी बाहें कुछ पल यूँ ही बैठना

देखती रहूं तुम्हें यूं ही मुस्कुराते हुए

झांकते हुए आंखों की नमी में नाम अपना ढूंढना


कुछ पल का साथ हमारा

क्यों नहीं बना जीने का सहारा

ढूंढता है आज भी मन वह सुकून के पल जो बिताए हमने साथ में

खलती है कमी तुम्हारी खलती है कमी तुम्हारी

रोशनदान तो आज भी बंद हैं

पर यादों की गलियों में तुम आज भी हो

जीने की जद्दोजहद है जिम्मेदारियों का बोझ

नहीं तो तुम और मैं आज हम होते हैं



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