STORYMIRROR

Shirish Pathak

Abstract Romance

4  

Shirish Pathak

Abstract Romance

तुम्हारी मुस्कराहट

तुम्हारी मुस्कराहट

2 mins
258


कह देना चाहता हूं रोज़ तुमको कई बार 

तुमसे प्यार करता हूँ मैं

बिना कारणों के चाहता हूँ तुमको

बिना वापसी की उम्मीद के तुम्हारे पास घंटो वक़्त बिताना

पसंद है मुझको


प्यार का इज़हार अक्सर गुलाब से करते है लोग

लेकिन तुमको गुलाब से ज्यादा ख़ुशी मेरी कवितओं से मिलती है 

मिठास के लिए तुम चॉकलेट को नहीं

अपने हाथों में पकड़ी हुई कुल्हड़ की चाय को पी लेती हो


सोच लेता हूँ तुमको कई बार बाँहों में भर लेने के बारे में

उसी तरह जैसे अक्सर हम इस ठंड में गर्म सी चादर को भर लेते है बांहों में

जानती हो तुम जब उदास होती हो

जी चाहता है तुम्हारी उदासियों को चूम के दूर कर दूँ मैं


मैं सोचता हूँ

टेडी बेयर को भी देख कर कभी

तुम सी अदाए तो उसमें भी आती नहीं होगी

वादा करता हूं तुमको कई बार मैं

हम दोनों का साथ बनाएं रखना चाहता हूं मैं उम्र भर के लिए


मेरे लिए तुम किसी सुन्दर सी कल्पना को जीने के जैसी हो

जिसको मैं समा लेना चाहता हूँ खुद के अन्दर

ताकि तुमको छुपा लूं दुनिया भर की नजरों से

और जब चाहूं झांक लूँ खुद में तुमको पाने के लिए


तुम्हारी मुस्कराहट तुम्हारी बातें हर बार कोई नयी कहानी कह जाती है

मुझसे भी और मेरे दिल से भी

जानती हो सबसे अच्छा क्या लगता है मुझको

तुम्हारी अदा जब तुम कहती हो “सुनो न तुम मुझे इतना भी प्यार मत करो”

जिसके जवाब में मैं बस मुस्कुरा के तुमको देखता रह जाता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract