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Shirish Pathak

Romance

4  

Shirish Pathak

Romance

तुम्हारे साथ

तुम्हारे साथ

2 mins
209


तुम्हारे साथ जीता हूँ मैं अब तो 

तुम्हारे हाथ को थाम के चलना अच्छा लगता है

बिना तुम्हारे अँधेरा लगता है फैला हुआ

चाहे जो भी कर लूँ मैं मिटा नहीं सकता उसको


आज मैं घुमने निकला अकेले

एक सुनसान सी सड़क पर

रात में रौशनी से नहाई हुई सड़क

पर ठण्ड ज्यादा लगने लगी मुझको

मगर फिर भी लौटने को मन नहीं है हमको

आज बस लग रहा था खुद को ढूंढ लूँ।


सोचने लगा क्या मैं खुश हूँ तुम्हारे साथ

क्या मुझे वक़्त बिताना वाकई में पसंद है


जब मैं आता हूँ तुम्हारी गली में

उस भीड़ में भी बस तुम ही नज़र आती हो

जब तुम आती हो मेरे सामने

मेरा दिल जोरो से धड़कने लगता है


तुम जानती हो कितना अच्छा लगता है

तुमको साथ में बैठाकर घूमना

जब मैं पूछता हूँ और तुम कहती हो “जहाँ ले चलो”

लगता है जैसे तुम मुझपे भरोसा कर चुकी हो

उसी तरह जैसे किसी पंछी को अपने परों पे होता है


जब मैं तुमको कहता हूँ क्या चाहिए तुमको

तुम न जाने क्यों बस देख के मुस्कुरा देती हो

जैसे तुम समझ जाती हो मैं बस

तुम्हारी ये मुस्कराहट देखना चाहता हूँ

और मेरा वक़्त बस वही थम जाता है


तुम जादू कर देती हो मुझ पर 

बाँध देती हो अपनी नजरों से मुझको

शायद ये बंधन भी मुझको पसंद है

जैसे किसी पतंग को धागे से

बंधना पसंद है ऊँचा उड़ने के लिए


तुम मेरी अपनी हो और तुम्हारे

साथ खुश रहना मुझे उतना ही पसंद है

जितना किसी इंसान को अपनी सांसों से होता है।


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