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Shirish Pathak

Romance

4  

Shirish Pathak

Romance

नाराज़गी

नाराज़गी

2 mins
370

मैं नहीं चाहता हूँ तुमको 

नहीं चाहता हूँ तुम्हारी नाराज़गी

नहीं चाहता हूँ तुम्हारा रूठ जाना

और नहीं चाहता हूँ तुम्हारा इंतज़ार करना जब तक तुम मेरे पास नहीं आ जाती हो


तुमको देखना अच्छा लगता है

तुम्हारे साथ वक़्त बिताना भी

मगर जब तुम नाराज़गी से मुझको देखती हो

दिल को न जाने कितने हिम्मत से बांध के तुमको मनाने की कोशिश करता हूँ

जानती हो जब तुम मानती हो दिल को जो सुकून मिल जाता है वो शायद कहीं और नहीं


जब तुम सीढ़ियों से उतरते हुए मुस्कुराती हो

मानो मेरी सारी थकान उतर जाती है

जो तुम्हारे पास आते हुए ट्रैफिक जैम में अटकने से हो जाती है

मगर फिर न जाने क्यों तुमको लौट जाने की जल्दी होती है

रोकने पर कह देती हो बहुत देर हो गयी है अब जाने ही दो

कह देती हो कल मिलेंगे पर जो रात से तुमसे मिलने तक का

वक़्त होता है वो बहुत भारी होता है


तुम जानती हो तुम मुझको पसंद हो

तुमको शायद आदत हो गयी है अब मेरी

कुछ ऐसा मैं कह जाता हूँ जो तुमको शायद अच्छा नहीं लगता

उसे मेरी भूल समझ के भूल जाया करो

मुझको सब कुछ मंजूर होगा बस एक तुम्हारा रूठ जाना नहीं


तुम्हारे साथ वक़्त जिस तेज़ी से बीत जाता है

मानो उसको जल्दी होती है कहीं जाने की

जल्दी मुझे होती है तुमसे मिलने की

तुमको भी होती होगी

मगर ये वक़्त हम दोनों को हमेशा हरा ही देती है


एक दिन ज़रूर ऐसा होगा जब ये वक़्त चाह के भी कहीं नहीं जा पायेगा

और तुम्हारे साथ के अलावा ये वक़्त और कुछ नहीं दे पायेगा



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