खुद के लिए
खुद के लिए
आज हम नयी यादें बना लेने फिर निकलें
सोचा क्यों न हम नदी के पास बैठ जाएं
और कह डालें उसको अपनी सारी बातें
बैठे रहे उसके पास घंटो घंटो तक
आज पहली बार कोशिश की तुम्हारी आँखों के अन्दर झाकने की
तुम्हारे मुस्कराहट के पीछे छुपे दर्द को देखने की
तुम कहती तो कुछ भी नहीं पर दिख जाता है
तुम खुश होने की कोशिश तो बहुत करती हो पर सब धरा का धरा रह जाता है
तुम जो कहती हो कभी कभी उसका मतलब कुछ और ही होता है
समझता नहीं था अब तक आज समझ आया
तुम मेरे साथ होती हो मेरे लिए
तुम मेरे लिए वक़्त निकाल लेती हो फिर भी कहती हो आज जल्दी जाना है
तुम बहुत सोचती रहती हो हर बात पे
तुम कहना भी चाहती हो पर रोक लेती हो खुद को
शायद चाहती हो समझ जाऊ मैं कोशिश ज़रूर करूँगा
अब मेरा काम तुमको समझना है तुमको समझाना है
और तुमको एक ही काम करना है ख्याल रखना खुद का
हमारे प्यार के लिए मेरे लिए और सबसे ज्यादा खुद के लिए